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Showing posts from March, 2019

हम पंछी उन्मुक्त गगन के ( कविता )

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हम पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर । पुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबोरी कनक-कटोरी की मैदा से ।  स्वर्ण-श्रृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं।  तरु की फुनगी पर के झूले । ऐसे थे अरमान कि उड़ते नील - गगन की सीमा पाने, लाल किरण-सी चोंच खोल । चुगते तारक-अनार के दाने। होती सीमाहीन क्षितिज से इन पंखों की होड़ा-होड़ी, या तो क्षितिज मिलन बन जाता या तनती साँसों की डोरी। नीड़ न दो, चाहे टहनी का आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो, लेकिन पंख दिए हैं, तो आकु ल उड़ान में विघ्न न डालो ।                                                -   डॉ शिवमंगल सिंह 🌸🌺🌼🌻🌾🌿 Share on Whatsapp  

अभियान गीत ( कविता )

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  भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।   धर्म अलग हों, जाति अलग हों, वर्ग अलग हों, भाषाएँ,   पर्वत, सागर-तट, वन, मरुथल, मैदानों से हम आएँ ।   फौजी वर्दी में हम सबसे पहले हिन्दुस्तान के,   भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।।                     हिन्दुस्तान की जिस मिट्टी में हम सब खेले-खाए हैं,             जिसके रजकण को हम ममता-समता से अपनाए हैं,             कर्ज चुकाने हैं हमको उन रजकण के एहसान के ।             भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के।   जिसकी पूजा में सदियों से श्रम के फूल चढ़ाए हैं,   जिसकी रक्षा में पुरखों ने अगणित शीश कटाए हैं।   हम रखवाले पौरुषवाले उसके गौरव मान के   भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।                हम गिर जाएँ किंतु न गिरने देंगे देश निशान को,              हम मि...

होली के रंग

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                                                                                            हो ली के रं ग होली रंगों का त्यौहार हंसी, ठिठौली, आनंद, मौजमस्ती लेकर आता है। जीवन की एकरसता, कामकाज से हुई थकान, तनाव को होली के इन्द्रधनुषी रंग कुछ पलों के लिए समाप्त कर शरीर, मन में हर्ष, उत्साह व ऊर्जा भर देते हैं। नूतन ऊर्जा के साथ होली का त्यौहार ऊंच- नीच, छोटे बड़े का भेद मिटाकर आपसी मेल को बढ़ाता है। नई फसल आने की खुशी व प्रकृति परिवर्तन का स्वागत होली मनाकर करते हैं। कहा जाता है कि हिरण्यकश्यपु बड़ा निर्दयी होने के साथ अहंकारी था। उसके राज्य में ईश्वर की भक्ति करने वालों को दण्ड दिया जाता था। लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का महान भक्त था। हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र को मारने के अनेक प्रयास किए पर ईश्वर की कृप...