अभियान गीत ( कविता )


  भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।
  धर्म अलग हों, जाति अलग हों, वर्ग अलग हों, भाषाएँ,
  पर्वत, सागर-तट, वन, मरुथल, मैदानों से हम आएँ ।
  फौजी वर्दी में हम सबसे पहले हिन्दुस्तान के,
  भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।।
       
            हिन्दुस्तान की जिस मिट्टी में हम सब खेले-खाए हैं,
            जिसके रजकण को हम ममता-समता से अपनाए हैं,
            कर्ज चुकाने हैं हमको उन रजकण के एहसान के ।
            भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के।

  जिसकी पूजा में सदियों से श्रम के फूल चढ़ाए हैं,
  जिसकी रक्षा में पुरखों ने अगणित शीश कटाए हैं।
  हम रखवाले पौरुषवाले उसके गौरव मान के
  भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।
 
             हम गिर जाएँ किंतु न गिरने देंगे देश निशान को,
             हम मिट जाएँ किंतु न मिटने देंगे हिन्दुस्तान को ।
             हम हैं सबसे आगे रहते अवसर पर बलिदान के
             भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।

  जो वीरत्व-विवेक समर में हम सैनिक दिखलाएँगे,
  उसकी गाथाएँ भारत के गाँव, नगर, घर गाएँगे।
  अनगिन कंठों में गूंजेंगे बोल हमारे गान के ,
  भारत माता के बेटे हम चलते सीना तान के ।।

                                       - डॉ हरिवंश राय बच्चन


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