वृक्ष हमारे मित्र ( कहानी )
चंपू हाथी चंपक वन का सबसे बड़ा जानवर था। उसे घने
जंगलों में घूमना अच्छा लगता था। चंपक वन में एक ऐसा
इलाका था। जो लम्बे और घने पेड़ों से भरा था। जहाँ रसीले
फलों से लदे पेड़ झूमते रहते थे। चंपक वन के जानवरों ने
इस इलाके का नाम 'शीतल कुंज' रखा था। एक दिन चंपू
ने अपने दोस्त चुटपुट खरगोश और नानू कौए से कहा-
"चलो आज शीतल कंज चलकर आम और केले खाते
हैं।''
नानू कौआ और चुटपुट खरगोश शीतल कुंज जाने के
लिए तुरंत तैयार हो गये। वे तीनों दोस्त एक साथ शीतल
कुंज की ओर चल पड़े। कुछ देर बाद वह शीतल कुंज पहुँचे।
वहाँ पहुँचकर उन्होंने बहुत सारे आम खाए और आराम
करने के लिए पेड़ की छाँव पर बैठे। अचानक ठकठक की
आवाज सुनकर वे चौंक उठे। उन्होंने देखा की कुछ लोग
हाथों में कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काट रहे हैं।
यह देख चंपू हाथी को गुस्सा आ गया। उसने उन लोगों
को ललकारते हुए कहा- 'तुम लोग इन पेड़ों को नहीं काट
सकते।''
यह सुनकर उनमें से एक आदमी ने कहा- “क्यों नहीं
काट सकते? हमें कौन रोकेगा?"
तभी चुटपुट खरगोश ने नानू कौए को आँखों से कुछ
इशारा किया।
नानू कौए ने चुटपुट खरगोश के इशारे को समझा और
उड़ चला।
चुटपुट खरगोश ने फिर चंपू की हाँ में हाँ मिलाते हुए
कहा- ‘बिल्कुल सही, ये पेड़ हमारे मित्र हैं। ये हमें घनी
छाया, फल, ठंडी हवा, देते हैं।”
इतना समझाने के बाद भी पेड़ काटने वाले लोग उनकी
बातों को अनसुना कर वृक्ष काटने लगे।
तभी चंपू हाथी और चुटपुट खरगोश पेड़ से लिपट गए।
उन्होंने कहा- ''पहले हमें काटो, फिर वृक्षों पर वार
करना।
इसी बीच नानू कौआ उड़ते-उड़ते चंपक वन पहुँचा और सभी जानवरों को पूरी घटना सुनाई। शीतल कुंज तो
सभी जानवरों का प्यारा था। नानू कौए के साथ शीतल कुंज को बचाने सभी जानवर चल पड़े।
वे सभी जानवर शीतल कुंज पहुँचे और कुछ लोगों को
हाथ में कुल्हाड़ी लिया देख वे वृक्षों से चिपक गए और उन
लोगों से निवेदन करते हुए कहने लगे- "ये वन ही हमारा
घर है। हम यहीं रहते हैं। अब तक हमारा सारा जीवन यही
बीता है। हम इन वृक्षों को काटने नहीं देंगे। यदि आपको इन
वृक्षों को काटना है तो पहले हमें मारें, फिर इन वृक्षों को।
जानवरों की इस करुणामयी प्रार्थना ने उन लोगों के
दिल को पिघला दिया। वे समझ गए कि यह वृक्ष हमारे मित्र
होते हैं। जो कि समस्त जीवों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।
इस प्रकार वे कुल्हाड़ी वही फेंककर वापस लौट गए और
उन्होंने संकल्प लिया कि- ''हम कभी किसी भी वृक्ष को
नहीं काटेंगे।
⋗ कहानी
- वन्दना दिवे
・ कृपया वृक्षों को ना काटे ये पशु पक्षियों के घर होते हैं।
🙏🙏🙏
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