होली के रंग

                          

                              
                                होली के रं

होली रंगों का त्यौहार हंसी, ठिठौली,
आनंद, मौजमस्ती लेकर आता है। जीवन की
एकरसता, कामकाज से हुई थकान, तनाव को
होली के इन्द्रधनुषी रंग कुछ पलों के लिए समाप्त
कर शरीर, मन में हर्ष, उत्साह व ऊर्जा भर देते
हैं। नूतन ऊर्जा के साथ होली का त्यौहार ऊंच-
नीच, छोटे बड़े का भेद मिटाकर आपसी मेल को
बढ़ाता है। नई फसल आने की खुशी व प्रकृति
परिवर्तन का स्वागत होली मनाकर करते हैं।

कहा जाता है कि हिरण्यकश्यपु बड़ा निर्दयी
होने के साथ अहंकारी था। उसके राज्य में ईश्वर
की भक्ति करने वालों को दण्ड दिया जाता था।
लेकिन उसका पुत्र प्रह्लाद विष्णु का महान भक्त
था। हिरण्यकश्यपु ने अपने पुत्र को मारने के अनेक प्रयास किए पर ईश्वर की कृपा से उसका
बाल भी बाँका न हुआ। हिरण्यकश्यपु की बहिन
होलिका को आग में न जलने का वर प्राप्त था
इसलिए उसने प्रह्लाद को गोद में लेकर आग
प्रज्वलित कर ली किन्तु ईश्वर की कृपा से
होलिका तो जलकर भस्म हो गई और प्रह्लाद बच
गया। तब से होली मनाने की परम्परा चली आ
रही है।

होली एक पवित्र पर्व है। लकड़ियाँ घास
फूस व गोबर के कण्डे इकट्ठे कर होलिका दहन
किया जाता है। मंत्र उच्चारण के साथ पवित्र अग्नि
की पूजा करके आरती की जाती है। प्रसाद
चढ़ाया जाता है। परिक्रमा की जाती है। पूजन के
बाद नई फसलें गेहूँ, चने की बालियों को भून कर
खाया जाता है। छोटे-बड़ों से आशीर्वाद लेते हैं।
एक दूजे को गुलाल अबीर का तिलक लगाया
जाता है। होली की पवित्र राख को गीला करके
उसकी सोलह गौर प्रतिमूर्ति बनाकर पूजन की
परम्परा राजस्थान के कुछ क्षेत्रों में है। कुंवारी
कन्याएं गणगौर तीज तक पूजन कर गौर
प्रतिमाओं को विसर्जित कर देती हैं।

दूसरे दिन धुलेण्डी को रंगों की धूम मस्ती
रहती है रंग पिचकारी की बौछार से आज के दिन
अमीर-गरीब, छोटे-बड़े का भेदभाव मिट जाता
है। बैर भाव भुलाकर होली के हुरियारे की टोली
हल्ला मचाती, ढोल मजीरे के साथ होली के गीत
गाती, रंगों से सबको सराबोर कर देती है। रंगों का
हमारे जीवन में अत्यंत महत्व है। सात रंगों से ही
इन्द्रधनुष बनता है। सात रंगों के मेल से ही सूर्य
के प्रकाश की किरणें बनी हैं। सफेद रंग सत्य काप्रतीक, हरा रंग हरियाली धनधान्य का, केसरिया रंग
वीरता, त्याग का तो, नीला रंग शांति का प्रतीक है, रंगों का हमारे जीवन में गहरा प्रभाव पड़ता है। ऐसे में रंगों की बौछारें, इन्द्रधनुषी छटा दिल को हर्षित कर देती हैं।

एक ओर होली मेलजोल, आपसी भाईचारे
का पर्व है पर दूसरी ओर इसमें कुछ बुराईयां भी
आ गई हैं। कई शरारती लोग रंग की बजाय पक्के
रंग, कीचड़, मिट्टी, गोबर से भी होली खेलते हैं
जिससे आँखों व त्वचा को नुकसान पहुँचता है
साथ ही झगड़े भी हो जाते हैं। ऐसे में हमें इस पुनीत त्यौहार से अच्छाइयां ग्रहण करते हुए इसकी बुराइयों को मिटाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि होली के रंगों से किसी की खुशी काम न हो। वैसे होली पूरे भारत में जो से मनाई जाती है पर मथुरा के ब्रज की होली की बात ही अलग है। बरसाने की लठमार होली तो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है होली हमारी सांस्कृतिक विरासत , पौराणिक परंपराओं का प्रतीक है जो राष्ट्रीय एकता , भाईचारे को कायम रखती है।


❤  Happy Holi ❤

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