पौधा बना एक पेड़ ( कविता )
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पौधा कल था सूखा-सूखा,
भर गर्मी में रूखा-रूखा।
वर्षा में वह बड़ा हुआ,
अपने पैरों पर खड़ा हुआ।
उसमें अब पत्ते ही पत्ते,
झूम हवा में करे नमस्ते।
करना इसकी रखवाली,
तब ही होगी हरियाली।
आएंगे फिर फूल और फल,
खुश होगा मौसम हर पल।
इसकी लम्बी चौड़ी काया,
देगी ठण्डी-ठण्डी छाया ।।
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⋗ कविता
- सुरभि पाटीदार
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