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Showing posts from May, 2019

सूरज ( कविता )

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सुबह-सुबह आ जाता सूरज, आकर हमें जगाता सूरज। बिस्तर छोड़ो लगो काम में, है सबको समझाता सूरज। स्वर्ण-किरण बिखरा पौधों पर, कलियों को चटकाता सूरज। जल को बदल वाष्प में, भू पर, कैसी वर्षा लाता सूरज। ऊर्जा का भंडार अनोखा, उन्नति पथ दिखलाता सूरज। इसीलिए तो आदि काल से, जग में पूजा जाता सूरज।                                                            ⋗   कविता                                                         -  डॉ. भैरुलाल गर्ग    Share on Whatsapp

सपने ( कविता )

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अपना रंग जमाते सपने  अंबर तक ले जाते सपने  जाने क्या क्या लाते सपने  सबके मन को भाते सपने  सपने हैं पहचान हमारी      सपने आंखों की फुलवारी ।                                                            ⋗   कविता                                                       -  अश्वघोष                                🌙  शुभ रात्रि  Share on Whatsapp

पुस्तक ( कविता )

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पुस्तक प्यारी, पुस्तक प्यारी इसकी महिमा सबसे न्यारी पुस्तक से मिलती है शिक्षा पुस्तक से हो दूर अशिक्षा पुस्तक में हर ज्ञान भरा है विद्या का भंडार भरा है चरित महापुरुषों के सुंदर भरें प्रेरणा के नवीन स्वर पढ़ने को मिलती कविताएं  जिन्हें याद कर हम सब गाएं इसमें अपनी गौरव गाथा जिसे झुकाएं हम सब माथा।                                                                                                    ⋗  कविता                                                   -    विनोद चंद्र पाण्डेय           Share on Whatsapp

बढ़े चलें ( कविता )

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बढ़े चलें हम, बढ़े चलें हम नई किताबें पढ़े चलें हम, हम भविष्य को सुखद बनाएं समय नहीं बेकार गंवाएं सफल बनाएं जीवन अपना हो पूरा उन्नति का सपना प्रेम देश से सदा करें हम नहीं किसी से कभी डरें हम यदि पढ़-लिख विद्वान बनेंगे यदि पढ़-लिख गुणवान बनेंगे सभी हमारा मान करेंगे हममें नव उत्साह भरेंगे।                                                                       ⋗  कविता                                                   -   विनोद चंद्र पाण्डेय        Share on Whatsapp

पेड़ ( कविता)

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जीवन भर हरियाते पेड़ सभी को भाते।  दवा, फूल, फल, छाया  देती इनकी काया। ये चिड़ियों के घर हैं चह-चह-चह-चह स्वर हैं। प्राणवायु के दानी इनसे बरसे पानी। पर्यावरण बनाएं हवा चले तो गाएं। घटे न इनकी गिनती धरती करती विनती।                                                   ⋗  कविता                                                 -  राजा चौरसिया Share on Whatsapp

वृक्ष हमारे मित्र ( कहानी )

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चंपू हाथी चंपक वन का सबसे बड़ा जानवर था। उसे घने जंगलों में घूमना अच्छा लगता था। चंपक वन में एक ऐसा इलाका था। जो लम्बे और घने पेड़ों से भरा था। जहाँ रसीले फलों से लदे पेड़ झूमते रहते थे। चंपक वन के जानवरों ने इस इलाके का नाम 'शीतल कुंज' रखा था। एक दिन चंपू ने अपने दोस्त चुटपुट खरगोश और नानू कौए से कहा- "चलो आज शीतल कंज चलकर आम और केले खाते हैं।'' नानू कौआ और चुटपुट खरगोश शीतल कुंज जाने के लिए तुरंत तैयार हो गये। वे तीनों दोस्त एक साथ शीतल कुंज की ओर चल पड़े। कुछ देर बाद वह शीतल कुंज पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने बहुत सारे आम खाए और आराम करने के लिए पेड़ की छाँव पर बैठे। अचानक ठकठक की आवाज सुनकर वे चौंक उठे। उन्होंने देखा की कुछ लोग हाथों में कुल्हाड़ी लेकर पेड़ काट रहे हैं। यह देख चंपू हाथी को गुस्सा आ गया। उसने उन लोगों को ललकारते हुए कहा- 'तुम लोग इन पेड़ों को नहीं काट सकते।'' यह सुनकर उनमें से एक आदमी ने कहा- “क्यों नहीं काट सकते? हमें कौन रोकेगा?" तभी चुटपुट खरगोश ने नानू कौए को आँखों से कुछ इशारा किया। नानू कौए ने चु...

पौधा बना एक पेड़ ( कविता )

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🌱🌿🌾🌳 पौधा कल था सूखा-सूखा, भर गर्मी में रूखा-रूखा। वर्षा में वह बड़ा हुआ, अपने पैरों पर खड़ा हुआ। उसमें अब पत्ते ही पत्ते, झूम हवा में करे नमस्ते। करना इसकी रखवाली, तब ही होगी हरियाली। आएंगे फिर फूल और फल, खुश होगा मौसम हर पल। इसकी लम्बी चौड़ी काया, देगी ठण्डी-ठण्डी छाया  । । 🌳🌳                                   ⋗  कविता                                      -   सुरभि पाटीदार Share on Whatsapp