सूरज ( कविता )
सुबह-सुबह आ जाता सूरज, आकर हमें जगाता सूरज। बिस्तर छोड़ो लगो काम में, है सबको समझाता सूरज। स्वर्ण-किरण बिखरा पौधों पर, कलियों को चटकाता सूरज। जल को बदल वाष्प में, भू पर, कैसी वर्षा लाता सूरज। ऊर्जा का भंडार अनोखा, उन्नति पथ दिखलाता सूरज। इसीलिए तो आदि काल से, जग में पूजा जाता सूरज। ⋗ कविता - डॉ. भैरुलाल गर्ग Share on Whatsapp